- संघर्ष हो तभी जिंदगी का मजा है, जीत या हार तो ऊपर वाले के हाथ में है इसलिए अपने संघर्ष का मजा लीजिए।
स्वामी शिवानंद सरस्वती



बाबा नीम करोली
उत्तरी भारत के चमत्कारी रहस्यवादी, पूजनीय और प्रिय श्री बाबा नीम करोली की पवित्र स्मृति को सलाम
बाबा नीम करोली

भगवन्नाम की महिमा
मानव जन्म ऊर्ध्वगामी प्रगति का द्वार है। पशु-पक्षी, कीट-पतंग, अन्य प्राणी वर्ग में और मनुष्य के जीवन में यही अन्तर है।
भगवन्नाम की महिमा

दिव्योपदेश
इस जटिल विश्व में जीवन एक अबोध्य रहस्य है जो इस संसार तथा ईश्वर-दोनों को ही युगपत् स्पर्श करता है।
दिव्योपदेश

जीवन में चरित्र का महत्व
परम आराधनीय श्री स्वामी चिदानन्द जी महाराज की जन्मशती के पुनीत अवसर की निर्दिष्ट शुभतिथि .......
जीवन में चरित्र का महत्व

ज्योति, शक्ति और प्रज्ञा
यह छोटी-सी पुस्तिका वरदान स्वरूप है। यह आपकी जेब-गुरु, नित्य साथी, शक्तिवर्धक टॉनिक तथा कोमल अंकुश है।
ज्योति, शक्ति और प्रज्ञा

कर्म और रोग
कर्म तथा उनके प्रतिफलों का विस्तृत विवरण इसमें दिया गया है। इसके द्वारा विवेकी मनोविज्ञान और अन्तर्दृष्टि वाला मनुष्य एक वास्तविक उद्देश्य को अपनाने हेतु प्रेरित होता है।
कर्म और रोग

महान जीवन की आधारशिला
स्मरण रखिए कि इसी वर्तमान अवधि में ही आप अपना भविष्य बना रहे हैं। आपके जीवन के प्रथम सोपान का, विद्याध्ययन काल का यह अद्भुत .....
महान जीवन की आधारशिला

साधना का मार्गदर्शन
परम आराधनीय श्री स्वामी चिदानन्द जी महाराज की जन्मशती के पुनीत अवसर की निर्दिष्ट शुभतिथि २४ सितम्बर २०१६ है।
साधना का मार्गदर्शन

संसार उद्धारक भगवान नम
परम आराधनीय श्री स्वामी चिदानन्द जी महाराज की जन्मशती के पुनीत अवसर की निर्दिष्ट शुभतिथि २४ सितम्बर २०१६ है।
संसार उद्धारक भगवान नम

अच्छी नींद कैसे सोयें
जिन्हें नींद नहीं आती हो तथा समाधि के आकांक्षी जनों के लिए
अच्छी नींद कैसे सोयें

बालकों के लिए दिव्य जीवन सन्देश
जो कल देश के नागरिक बनेंगे, जिन पर राष्ट्र की भावी आशा केन्द्रित है, उन सुकुमार- हृदय बालकों को सप्रेम समर्पित
बालकों के लिए दिव्य जीवन ..

भगवान श्रीकृष्ण
जगद्गुरु तथा वृन्दावन के मुरलीमनोहर भगवान् श्रीकृष्ण के श्रीचरणों में समर्पित
भगवान श्रीकृष्ण

भगवान शिव और उनकी आराधना
उमा, गौरी या पार्वती के परम पति तथा शाश्वत परमानन्द, ज्ञान एवं अमरत्व के प्रदाता भगवान् शिव को समर्पित
भगवान शिव और उनकी आराधना

ब्रह्मचर्य - साधना
पुरुष के समक्ष एक महान् भ्रान्ति है। वह नारी के रूप में उसको उद्विग्न करती है। इसी प्रकार स्त्री-जाति के समक्ष भी एक महान भ्रान्ति है जो पुरुष के रूप में उसको उद्विग्न करती है।
ब्रह्मचर्य - साधना

देवी माहात्म्य
परम पूज्य गुरुदेव की अंगरेजी पुस्तक 'देवी माहात्म्य' के मूलमाग का पाठ-विधि सहित अविकल हिन्दी
देवी माहात्म्य

धारणा और ध्यान
उन योगियों तथा भक्तों को समर्पित जो धारणा तथा ध्यान द्वारा जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु प्रयासरत है ।
धारणा और ध्यान

ध्यानयोग
एकाग्रता का अर्थ है मन को किसी विशेष पदार्थ पर टिकाना।
ध्यानयोग

हठयोग
हठयोग किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्ति हेतु सभी के लिए एक दैवी वरदान है। शरीर एवं मन उपकरण है। ये हठयोग के अभ्यास से दृढ़, शक्तिशाली और ऊर्जा से परिपूर्ण रहते हैं।
हठयोग

हिन्दूतत्व-विवेचन
उन सबको- जिन्हें हिन्दूतत्त्व तथा इसके उदात्त दर्शन से प्रेम है और जो इसकी शिक्षाओं का अनुसरण करते हैं !
हिन्दूतत्व-विवेचन

मैं इसका उत्तर दूँ?
यह पुस्तक परम पावन गुरुदेव श्री स्वामी शिवानन्द जी महाराज की विभिन्न प्रकाशित रचनाओं में से संकलित की गयी है, जिसमें उनकी तीस के दशक के अन्तिम भाग की कतिपय प्रारम्भिक कृतियाँ भी सम्मिलित की गयी हैं।
मैं इसका उत्तर दूँ?

मन : रहस्य और निग्रह
जो आपको ईश्वर से पृथक् करता है, वह मन है। इस मन को ओंकार-चिन्तन या भक्ति के द्वारा हटा दें, तो आपको ईश्वर का दर्शन हो जायेगा।
मन : रहस्य और निग्रह

मानसिक शक्ति
मानव-जीवन में विचारों, बुद्धि तथा संकल्प-शक्ति की भूमिका मूल्यवान् है। यह पुस्तक विचार-शक्ति के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालती है तथा मानव-बुद्धि और संकल्प-शक्ति को एक सम्यक् दिशा प्रदान करती है। इस दृष्टि से यह पुस्तक भी मूल्यवान् है।
मानसिक शक्ति

मरणोत्तर जीवन और पुनर्जन्म
मरणोपरान्त जीवन के समस्त रहस्यों को उद्घाटित करने वाले भगवान् यम, मार्कण्डेय, नचिकेता, सावित्री और भगवान् शिव के शाश्वत परिचारी नन्दी को समर्पित !
मरणोत्तर जीवन और पुनर्जन्म

मूर्तिपूजा का दर्शन और महत्त्व
परम पूज्य सद्गुरुदेव श्री स्वामी शिवानन्द जी महाराज ने मूर्तिपूजा के दर्शन और महत्त्व से आध्यात्मिक जिज्ञासुओं को अवगत कराने के महान् प्रयोजन से “The Philosophy and Significance of Idol Worship' नामक इस ग्रन्थ की अँगरेजी भाषा में रचना की थी।
मूर्तिपूजा का दर्शन और महत्त्व

प्राणायाम-साधना
इस पुस्तक के विषय अथवा इसके लेखक श्री स्वामी शिवानन्द जी महाराज के गुणों पर बल देना हमारे लिए अनावश्यक ही है।
प्राणायाम-साधना

गीता-प्रबोधिनी
श्रीमद्भगवद्गीता के सिद्धान्तों का सम्पूर्ण दृष्टिकोण इस पुस्तक में संघनित रूप में है। भगवद्गीता के सिद्धान्त सम्पूर्ण मानवता के लिए आध्यात्मिक विकास एवं साक्षात्कार हेतु हर युग के लिए सामान्य निर्देशन हैं;
गीता-प्रबोधिनी

गुरु-तत्त्व
यद्यपि आध्यात्मिक गुरु की धारणा के सम्बन्ध में बहुत कुछ लिखा जा चुका है; फिर भी इस महत्त्वपूर्ण विषय को ले कर जनसाधारण के मन में अनेक भ्रान्तियाँ, भ्रम और सन्देह बने हुए हैं।
गुरु-तत्त्व

जीवन में सफलता के रहस्य और आत्म-दर्शन
जिनके जीवन का कुछ लक्ष्य है, और जो उस लक्ष्य की ओर जाना चाहते हैं। जिनके जीवन में महत्त्वाकांक्षाएँ हैं, जो उन्हें पूरा करना चाहते हैं। जिनके जीवन में सदाचार का अभाव है, पर जो सदाचारी बनना चाहते हैं। जिनको समाज पतित कहता है, पर जो उठना चाहते हैं- विश्व के ऐसे मनुष्यों को
जीवन में सफलता के रहस्य

सर्वस्नेही हृदय
प्रस्तुत पुस्तक 'सर्वस्नेही हृदय' श्री स्वामी वेदान्तानन्द सरस्वती माता जी द्वारा परम पूज्य श्री स्वामी चिदानन्द जी महाराज पर अंग्रेजी भाषा में लिखी गयी कविताओं के सुन्दर संग्रह 'The All-embracing Heart' का हिन्दी अनुवाद है।
सर्वस्नेही हृदय

योगवासिष्ठ की कथाएँ
योगवासिष्ठ इस विश्व की एक उत्कृष्ट पुस्तक है। केवल अद्वैत ब्रह्म का ही अस्तित्व है। यह विश्व तीनों कालों में नहीं है। केवल आत्मज्ञान ही मनुष्य को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त करेगा।
योगवासिष्ठ की कथाएँ

सद्गुणों का अर्जुन एवं दुर्गुणों का नाश किस प्रकार करें
ॐ समस्त अभिभावकों एवं शिक्षकों नेताओं एवं उपदेशकों को समर्पित जो करते हैं चरित्र-निर्माण नर एवं नारियों का
सद्गुणों का अर्जुन एवं ...

नित्य वन्दना
वेदोक्त पुरुष सूक्त' महान् ऋषि नारायण द्वारा सृष्टि के विविध रूपों में अभिव्यक्त वैश्विक दिव्य सत्ता के दर्शन पर आधारित एक सर्वाधिक प्रभावशाली स्तुति मात्र ही नहीं है, अपितु यह एक सत्यान्वेषक को पराचेतना अर्थात् समाधि अवस्था में प्रवेश कराने का एक लघुमार्ग भी है।
नित्य वन्दना

ज्ञान गंगा
सेवा करो, स्नेह करो, देते रहो, शुद्ध रहो, ध्यान करो तथा अनुभव का संकलन करो। यह शब्द वस्तुतः सभी धर्मों के पावन ग्रन्थों के मूल तत्त्व हैं।
ज्ञान गंगा

शिवानन्द-आत्मकथा
सन्त का जीवन सभी के लिए आदर्श है, जिसका अनुगमन कर सभी अपने जीवन को उन्नत बना सकते हैं। इस पुस्तक में दिव्य जीवन के पाठ खोल कर रख दिये गये हैं।
शिवानन्द-आत्मकथा

आलोक-पुंज
इस छोटी-सी पुस्तक में सामान्य जन के समक्ष स्वामी जी के अतीत तथा वर्तमान रोचक जीवन की कुछ प्रमुख घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में उनके व्यक्तित्व का एक निष्पक्ष अध्ययन प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
आलोक-पुंज

त्याग शरणागति और आस्था का एक जीवन
जनवरी २००२ में उड़ीसा के कटक में द्वितीय अन्तर्राष्ट्रीय दिव्य जीवन संघ सम्मेलन सम्पन्न करने के उपरान्त परम पूज्य श्री स्वामी चिदानन्द जी महाराज शिवानन्द आश्रम (ऋषिकेश) लौटे। परम पूज्य गुरुदेव श्री स्वामी शिवानन्द जी महाराज के समाधि मन्दिर में सदैव की भाँति उन्होंने पुनः अपने पावन प्रवचनों की वर्षा प्रारम्भ की।
त्याग शरणागति और आस्था ..

श्री गुरु-पादुका-पूजा व प्रातःकालीन नित्यपाठ
श्री स्वामी शिवानन्द ने ८ सितम्बर १८८७ को सन्त अप्पय दीक्षितार तथा अन्य अनेक सुप्रसिद्ध सन्तों और विद्वानों के प्रतिष्ठित कुल में जन्म लिया था। उनमें वेदान्त के अध्ययन तथा आदशों को समर्पित जीवन व्यतीत करने की एक जन्मजात प्रवृत्ति थी; साथ ही, उनमें सबकी सेवा करने की सहज ललक तथा समस्त मानव-जाति के प्रति ऐक्य का अन्तर्जात भाव भी था।
श्री गुरु-पादुका-पूजा ...

भजन-कीर्तन
श्री स्वामी शिवानन्द जी का जन्म सन्त अप्पय्य दीक्षितार तथा अन्य अनेक प्रख्यात सन्तों तथा विद्वानों के कुलीन परिवार में ८ सितम्बर १८८७ को हुआ था। वेदान्त के अध्ययन तथा उसके व्यावहारिक पक्ष की ओर उन्मुख जीवन के प्रति उनमें जन्मजात झुकाव था। ...
भजन-कीर्तन

धनवान् कैसे बनें
समृद्धि, शान्ति और आनन्द की खोज करने वाले समस्त जनों को समर्पित !
धनवान् कैसे बनें

विद्यार्थी-जीवन में सफलता
बच्चों की शिक्षा राष्ट्र-निर्माण का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य है; क्योंकि लोकोक्ति है कि बालक जो-कुछ पालने में सीखता है, अपने बचपन में जैसा स्वभाव बना लेता है,
विद्यार्थी-जीवन में सफलता

महान् जीवन की पथ-प्रदर्शिका
आध्यात्मिक पुस्तक भले ही बुद्धि को सन्तोष प्रदान करे या न करे, पर यह तो निश्चित ही है कि वह आत्मा तथा प्रज्ञा की आवश्यकताओं तथा माँगों की पूर्ति अवश्य करती है।
महान् जीवन की पथ-प्रदर्शिका

सत्संग और स्वाध्याय
महाप्रभु श्री स्वामी शिवानन्द जी महाराज ने पावन सत्संग और स्वाध्याय पर विभिन्न स्थानों पर जो-कुछ विचार प्रकट किये हैं, उनका ही संकलन इस पुस्तक में प्रकाशित किया गया है।
सत्संग और स्वाध्याय

शाश्वत सन्देश
'शाश्वत सन्देश' हमारे परमाध्यक्ष परम पूज्य श्री स्वामी चिदानन्द जी महाराज द्वारा समय-समय पर साधकों को पत्रों द्वारा दिये गये बहुमूल्य परामर्शों तथा सन्देशों का संकलन है। मूल परामर्श-सन्देश अँगरेजी में हैं तथा ‘Eternal Messages' शीर्षक के अन्तर्गत प्रकाशित किये जा चुके हैं। मूल सामग्री का संकलन परम पूज्य स्वामी जी के वैयक्तिक सहायक तथा सचिव श्री स्वामी विमलानन्द जी ने किया था।
शाश्वत सन्देश

मुक्ति-पथ
'मुक्ति-पथ' नामक यह पुस्तक आत्म-संयम, मनोनिग्रह, एकाग्रता एवं ध्यान के द्वारा अन्तरात्मा के साक्षात्कार का सरल निरूपण है।
मुक्ति-पथ

सत्संग भजन माला
यह पुस्तक 'सत्संग भजन माला' यहाँ की पूर्व-प्रकाशित पुस्तकों 'प्रार्थना-मंजरी' तथा 'शिवानन्दाश्रम-भजनावली' का संयुक्त तथा परिवर्धित रूप है। इसमें स्तोत्र, भजन आदि को नये क्रम से रखा गया है। जो गीत, भजन अथवा स्तोत्र जिस दिन गाये जाते हैं,
सत्संग भजन माला

साधना-सार
पूज्य श्री स्वामी चिदानन्द जी महाराज द्वारा समय-समय पर उड़ीसा प्रान्त के साधकों में वितरित किये गये ....
साधना-सार

चिदानन्दम्
सद्गुरुभगवान् श्री स्वामी शिवानन्द जी महाराज के अभिन्नरूप श्री स्वामी चिदानन्द जी महाराज की 'प्रथम पुण्यतिथि आराधना' पर प्रकाशित 'चिदानन्दम्' स्मृतिग्रन्थ
चिदानन्दम्

दिव्य योग
योगाभ्यास के महत्त्व को उजागर करते हुए गुरुदेव श्री स्वामी शिवानन्द जी महाराज कहते हैं, "प्रतिदिन मात्र 15 मिनट के लिए निरन्तर योगाभ्यास सभी को पूर्ण रूप से स्वस्थ रख सकता है।"
दिव्य योग

योग-सन्दर्शिका
'योग' शब्द का अर्थ बहुत विस्तृत है। अधिकांश व्यक्ति हठयोग या राजयोग (अष्टांगयोग) को ही योग मानते हैं। यद्यपि योग के बारे में बहुत-कुछ लिखा जा चुका है, तथापि एक सामान्य व्यक्ति के लिए योग अब भी एक रहस्य है।
योग-सन्दर्शिका

जपयोग
जप कि सी मन्त्र अथवा ईश्वर के नाम को बार-बार दोहरानेको कहतेहैं। इस कलि यगु में, जब कि अधि कतर व्यक्ति यों का शरीर-बल पहलेजसै...
जपयोग

हिंदू-पदपादशाही
'स्वधर्म राज्य-वृद्धिकारणे तुम्ही सुपुत्र निर्माण आहां।' (- स्वधर्म और राज्य-वृद्धि के कार्य हेतु तुम जैसे सुपुत्र का जन्म हुआ है।)...
हिंदू-पदपादशाही

श्रीमद्भगवद्गीता भाग १
यह पुस्तक 'सत्संग भजन माला' यहाँ की पूर्व-प्रकाशित पुस्तकों 'प्रार्थना-मंजरी' तथा 'शिवानन्दाश्रम-भजनावली' का संयुक्त तथा परिवर्धित रूप है। इसमें स्तोत्र, भजन आदि को नये क्रम से रखा गया है। जो गीत, भजन अथवा स्तोत्र जिस दिन गाये जाते हैं,
श्रीमद्भगवद्गीता भाग

हिंदुत्व
हिंदुत्व एक ऐसा शब्द है, जो संपूर्ण मानवजाति के लिए आज भी असामान्य स्फूर्ति तथा चैतन्य का स्रोत बना हुआ है। इसी हिंदुत्व के असंदिग्ध स्वरूप तथा आशय का ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास आज हम करने जा रहे हैं।
हिंदुत्व

हिंदू-दर्शन
धर्म सिर्फ एक प्रस्ताव या सूत्र नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य व्यक्ति को इस योग्य बनाना है कि वह स्वयं में ईश्वर की अनुभूति कर सके तथा स्वयं को उसकी एकात्मकता के साथ विकसित करे।
हिंदू-दर्शन

श्रीमद्भगवद्गीता भाग 2
यह पुस्तक 'सत्संग भजन माला' यहाँ की पूर्व-प्रकाशित पुस्तकों 'प्रार्थना-मंजरी' तथा 'शिवानन्दाश्रम-भजनावली'.....
श्रीमद्भगवद्गीता भाग 2

भारत की अनतरातमा
भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों पर अनुभाग को अक्सर 'अंतरात्मा' कहा जाता है. मौलिक अधिकार नागरिकों को राज्य द्वारा सत्ता के मनमाने और निरपेक्ष प्रयोग से रक्षा करते हैं.
भारत की अनतरातमा

राम दर्शन
सो सखु सो गति सो भगति सो तिज चरि सिेह । सो वििेक सो रहति प्रभुहमहह कृपा करर देहू।।
राम दर्शन

मुक्तोद्गार
जो दर्शन, प्रत्यक्ष रूप सेपरमात्मा का दर्शन करा दे, उसका ही नाम दर्शन है।
मुक्तोद्गार

भारतीय संस्कृति कुछ विचार
इस पुस्तक में भारत की सभ्यता, संस्कृति और परंपराओं को लेकर लेखक ने अपने अनमोल विचार रखे हैं। यह एक ऐसी पुस्तक है, जो सिद्ध करती है भारतीय संस्कृति दुनिया की सबसे प्राचीन संस्कृति है और हमेशा सबसे अधिक गौरवशाली रहेगी।.
भारतीय संस्कृति कुछ विचार

श्रीमद्भागवत रहसय
यह एक ऐसा शास्त्र है कि जिसके श्रवण और मनन करने पर कुछ जानने जैसा बाकी रहता नहीं हैं।
श्रीमद्भागवत रहसय

भारतीय दर्शन
इस खण्ड में भी, जिसका प्रतिपाद्य विषय वैदिक षड्दर्शन का विवेचन है, मैंने पहले खण्ड जैसी ही योजना तथा विधि अपनाई है। इसके अतिरिक्त, मैंने उस भावना को भी अपनाने का प्रयत्न किया है जो दार्शनिक व्याख्या के लिए उचित मानी गई है, ..
भारतीय दर्शन

भारतीय दर्शन
इस खण्ड में भी, जिसका प्रतिपाद्य विषय वैदिक षड्दर्शन का विवेचन है, मैंने पहले खण्ड जैसी ही योजना तथा विधि अपनाई है। इसके अतिरिक्त, मैंने उस भावना को भी अपनाने का प्रयत्न किया है जो दार्शनिक व्याख्या के लिए उचित मानी गई है, ..
भारतीय दर्शन 2

पैगाम ए मुक्त
महर्षि मुक्त (1906 झंडापुर से 1976 लुधियाना) विरचित 'पैशाम-ए-मुक्त' रुहानी शेर-ओ-गजल का अनूठा संग्रह है, जिसके माध्यम से सारे चराचर के लिए संदेश दिया गया है कि अहम्त्वेन प्रस्फुरित जो तत्व है, वही सर्व का अस्तित्व है और वहीं देव है, जो मन का साक्षित्व करता है।
पैगाम ए मुक्त

भगवत गीता डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन
डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति (1952-1962) और द्वितीय राष्ट्रपति रहे। वे भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक, एक महान लेखक और एक आस्थावान हिन्दू विचारक थे।
भगवत गीता

भारतीय दर्शन
इस खण्ड में भी, जिसका प्रतिपाद्य विषय वैदिक षड्दर्शन का विवेचन है, मैंने पहले खण्ड जैसी ही योजना तथा विधि अपनाई है। इसके अतिरिक्त, मैंने उस भावना को भी अपनाने का प्रयत्न किया है जो दार्शनिक व्याख्या के लिए उचित मानी गई है, ..